द्वापर और कलयुग कि समानता

November 18, 2022

द्वापर और कलयुग कि समानता

पद्मिनी अर्हन्त

महाभारत में जो लोग अक्रम, अन्याय और दुष्ट के पक्ष लिए और वो भी वे सभी पूरी जानकारी के पश्चात की कौन दुष्ट कौन अन्याय वादी हैं, वे अपने आप को अनीति अधर्म के चरण समर्पित किए और वे सब हिंसा, छल, कपट षड्यंत्र की और शरणागति हुए । यह उनके सोचे समझे निर्णय था ।

उन्होंने इस निर्णय पर खेद भी नहीं जताये। अंतिम समय तक उन्हें गर्व हुआ की वे अपने ही दुर्भाग्य को निमंत्रण दिए और उसी अनुसार एक भी व्यक्ति उस दुर्गति को टाल नहीं सके। स्वयं चुने पथ पर उन्हें प्राण त्यागना पड़ा और बुरे कर्म के भोज अपने संग ले गए ।

यही तत्कालीन हो रहा है। परिणाम भी वैसा ही जैसे करनी वैसे भरनी हिसाब से निश्चित है । वैसे भी विनाश काले विपरीत बुद्धि । विधि के विधान कर्म के उपेक्षा  में प्रचलित है ।

जिसने कर्म को नकारा उसने सबसे अधिक दुःख संकट बोया।यही प्रकृति के नियम है ।

काल और कर्म से किसी को छूट नहीं ।

पद्मिनी अर्हन्त

Comments

Got something to say?

You must be logged in to post a comment.